Wednesday, June 13, 2012
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गाँव - उपन्यास (मुल्कराज आनंद)
मुल्कराज आनंद देश-विदेश में प्रसिद्ध उपन्यासकार है। वे अंग्रेजी में लिखते है। 'The Village' उनका बहुचर्चित उपन्यास है। उसी का हिन्दी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय बंगला के शीर्षस्थ उपन्यासकार हैं। उनकी लेखनी से बंगाल साहित्य तो समृद्ध हुआ ही है, हिन्दी भी उपकृत हुई है। उनकी लोकप्रियता का यह आलम है कि पिछले डेढ़ सौ सालों से उनके उपन्यास विभिन्न भाषाओं में अनूदित हो रहे हैं और कई-कई संस्करण प्रकाशित हो रहे हैं। उनके उपन्यासों में नारी की अन्तर्वेदना व उसकी शक्तिमत्ता बेहद प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त हुई है। उनके उपन्यासों में नारी की गरिमा को नयी पहचान मिली है और भारतीय इतिहास को समझने की नयी दृष्टि।
वे ऐतिहासिक उपन्यास लिखने में सिद्धहस्त थे। वे भारत के एलेक्जेंडर ड्यूमा माने जाते हैं।
यह उपन्यास बंकिम चंद्र का एक प्रसिद्ध रोमांटिक उपन्यास है।
उपन्यास का एक अंश :
मुझे कुलटा जो बता रहे हो सब झूठ है। हृषिकेश क्रोधित होकर बोले, ‘‘पापिनी ! मेरे अन्न से पेट पालती है और मुझे ही दुर्वचन सुनाती है। जा, मेरे घर से इसी समय निकल जा, माधवाचार्य की खुशी की खातिर मैं अपने घर में काली नागिन नहीं पाल सकता हूं।’’
मृणालिनी बोली, ‘‘तुम्हारी आज्ञा के अनुसार ही तुम कल सवेरे मेरा मुंह नहीं देख पाओगे।
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च १८६५ में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। उनकी अगली रचना का नाम कपालकुंडला (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है। उन्होंने 1872 में मासिक पत्रिका बंगदर्शन का भी प्रकाशन किया। अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया। कृष्णकांतेर विल में चटर्जी ने अंग्रेजी शासकों पर तीखा व्यंग्य किया है।
राजमोहन की स्त्री बंकिम चंद्र का लिखा हुआ पहला उपन्यास था।
हालाँकि इसे बाद में छापा गया।
4. प्रेत की छाया - कहानी संग्रह (ज्योतिन्द्रनाथ)
प्रेत की छाया प्रसिद्ध लेखक ज्योतिन्द्रनाथ का कहानी संग्रह है। इनकी कहानियाँ पाठकों को कल्पना के अनोखे संसार में ले जाती है जहाँ उसका सामना रहस्य, रोमांच, डर, खुशी, उत्साह जैसे मानवीय संवेगों से होता है।
5. चंद हसीनाओं के खतूत (रोमांटिक हास्य-व्यंग्य)
चंद हसीनाओं के खतूत एक रोमांस और हास्य-व्यंग्य से परिपूरन पुस्तक है। इसमे ख़त के रूप में रोमांटिक कहानियाँ दी गई है जो इसे पढने में रोचक और मजेदार बनती है। अवश्य पढ़ें।
6. अलादीन का जादुई चिराग - उपन्यास
अलादीन का जादुई चिराग अंग्रेजी उपन्यास 'one thousand nights' का हिन्दी रूपांतर है। इसमे अलादीन की कहानी को नए ढंग से प्रस्तुत किया गया है। किताब पढने में दिलचस्प है।
7. असगर वजाहत की रचनाएँ (संग्रह)
8. आँधी - जयशंकर प्रसाद
9॰ कहानी संग्रह - श्रेष्ठ हिन्दी लेखकों द्वारा
10॰ एक गधे की वापसी - कृष्ण चंदर
11॰ गीतांजली - रबीन्द्रनाथ टैगोर
12॰ अमृत वचन संकलन - रबीन्द्रनाथ टैगोर
13. हरीशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाएँ - 1
14. हरीशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाएँ - 2
15. हरिवंश राय बच्चन की प्रतिनिधि रचनाएँ
16. कबीर के दोहे
17. रहीम के दोहे
18. कामायनी - जयशंकर प्रसाद
19॰ मधुशाला - हरिवंश राय बच्चन
20. नई सुबह
21॰ राम की शक्ति पूजा - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
22. शेखर - एक जीवनी
23. स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन
24॰ शरद जोशी के व्यंग्य लेख
Hindi Books Collection Part-3
गाँव - उपन्यास (मुल्कराज आनंद)
मुल्कराज आनंद देश-विदेश में प्रसिद्ध उपन्यासकार है। वे अंग्रेजी में लिखते है। 'The Village' उनका बहुचर्चित उपन्यास है। उसी का हिन्दी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय बंगला के शीर्षस्थ उपन्यासकार हैं। उनकी लेखनी से बंगाल साहित्य तो समृद्ध हुआ ही है, हिन्दी भी उपकृत हुई है। उनकी लोकप्रियता का यह आलम है कि पिछले डेढ़ सौ सालों से उनके उपन्यास विभिन्न भाषाओं में अनूदित हो रहे हैं और कई-कई संस्करण प्रकाशित हो रहे हैं। उनके उपन्यासों में नारी की अन्तर्वेदना व उसकी शक्तिमत्ता बेहद प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त हुई है। उनके उपन्यासों में नारी की गरिमा को नयी पहचान मिली है और भारतीय इतिहास को समझने की नयी दृष्टि।
वे ऐतिहासिक उपन्यास लिखने में सिद्धहस्त थे। वे भारत के एलेक्जेंडर ड्यूमा माने जाते हैं।
यह उपन्यास बंकिम चंद्र का एक प्रसिद्ध रोमांटिक उपन्यास है।
उपन्यास का एक अंश :
मुझे कुलटा जो बता रहे हो सब झूठ है। हृषिकेश क्रोधित होकर बोले, ‘‘पापिनी ! मेरे अन्न से पेट पालती है और मुझे ही दुर्वचन सुनाती है। जा, मेरे घर से इसी समय निकल जा, माधवाचार्य की खुशी की खातिर मैं अपने घर में काली नागिन नहीं पाल सकता हूं।’’
मृणालिनी बोली, ‘‘तुम्हारी आज्ञा के अनुसार ही तुम कल सवेरे मेरा मुंह नहीं देख पाओगे।
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च १८६५ में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। उनकी अगली रचना का नाम कपालकुंडला (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है। उन्होंने 1872 में मासिक पत्रिका बंगदर्शन का भी प्रकाशन किया। अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया। कृष्णकांतेर विल में चटर्जी ने अंग्रेजी शासकों पर तीखा व्यंग्य किया है।
राजमोहन की स्त्री बंकिम चंद्र का लिखा हुआ पहला उपन्यास था।
हालाँकि इसे बाद में छापा गया।
4. प्रेत की छाया - कहानी संग्रह (ज्योतिन्द्रनाथ)
प्रेत की छाया प्रसिद्ध लेखक ज्योतिन्द्रनाथ का कहानी संग्रह है। इनकी कहानियाँ पाठकों को कल्पना के अनोखे संसार में ले जाती है जहाँ उसका सामना रहस्य, रोमांच, डर, खुशी, उत्साह जैसे मानवीय संवेगों से होता है।
5. चंद हसीनाओं के खतूत (रोमांटिक हास्य-व्यंग्य)
चंद हसीनाओं के खतूत एक रोमांस और हास्य-व्यंग्य से परिपूरन पुस्तक है। इसमे ख़त के रूप में रोमांटिक कहानियाँ दी गई है जो इसे पढने में रोचक और मजेदार बनती है। अवश्य पढ़ें।
6. अलादीन का जादुई चिराग - उपन्यास
अलादीन का जादुई चिराग अंग्रेजी उपन्यास 'one thousand nights' का हिन्दी रूपांतर है। इसमे अलादीन की कहानी को नए ढंग से प्रस्तुत किया गया है। किताब पढने में दिलचस्प है।
7. असगर वजाहत की रचनाएँ (संग्रह)
8. आँधी - जयशंकर प्रसाद
9॰ कहानी संग्रह - श्रेष्ठ हिन्दी लेखकों द्वारा
10॰ एक गधे की वापसी - कृष्ण चंदर
11॰ गीतांजली - रबीन्द्रनाथ टैगोर
12॰ अमृत वचन संकलन - रबीन्द्रनाथ टैगोर
13. हरीशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाएँ - 1
14. हरीशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाएँ - 2
15. हरिवंश राय बच्चन की प्रतिनिधि रचनाएँ
16. कबीर के दोहे
17. रहीम के दोहे
18. कामायनी - जयशंकर प्रसाद
19॰ मधुशाला - हरिवंश राय बच्चन
20. नई सुबह
21॰ राम की शक्ति पूजा - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
22. शेखर - एक जीवनी
23. स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन
24॰ शरद जोशी के व्यंग्य लेख
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